विश्व के उत्कृष्ट पायलट इन्हीं स्तम्भ द्वारों से हो कर गुज़रते हैं ।

निदेशक का सन्देश

लगभग 115 वर्ष हो गये जब से मानव जाति ने एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए प्रथम उड़ान ली। कोई अन्य खोज मानवी सभ्यता को उतना प्रभावित नहीं कर पाई, जितना कि वायुयान की खोज ने किया। एशिया महाद्वीप में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ वैमानिक ढांचागत संरचना को स्थापित किया है। जहाँ पर प्रथम वाणिज्यिक उड़ान को जेआरडी टाटा के द्वारा 15 अक्टूबर 1932 को कराची से जुहू एयरपोर्ट तक पूरा किया गया था। भारत विश्व में एक वैमानिक राष्ट्रों में अग्रगामी रहा है।

जैसा कि भारत ने प्रोपेलर युग से जेट युग में पदार्पण किया वैसे ही देश में वायुयान उड़ान प्रशिक्षण संस्थान की आवश्यकता उत्कृष्ट आधुनिक तकनीक के साथ महसूस हुई। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने 1985 में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी के रूप में फुरसतगंज, अमेठी उ. प्र. में स्थापना की, इस उद्देश्य के साथ की प्रशिक्षण की उत्तम सुविधा व वायुयान उड़ान प्रशिक्षणार्थियों को उत्कृष्टता की धुरी के रूप में संस्थान कार्य करे।

इग्रुआ ने आरम्भ में दाहेर सोकाटा, टीबी 20, एकल इंजन वायुयान, जुड़ुआ इंजन किंग एयर C90 A एवं छः अक्षीय बीचक्राफ्ट किंग एयर सिमुलेटर के साथ शुरुआत की थी। इग्रुआ प्रशासन ने समय के अनुरूप प्रचलित तकनीक को अपनाना सुनिश्चित किया। इसी के साथ अपने निजी नवगमन और विमान अवतरण प्रणाली की उपलब्धता के साथ आज के समय में संस्थान के लिए चार चांद लगाते हैं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी के निदेशक की छवि

2005 से के बाद से हो रही नागर विमानन के उदारीकरण की नीति के चलते आकाशीय यातायात में अचानक मांग बढ़ गयी है इस जरूरत को पूरा करने और अगली पीढ़ी हेतु सुयोग्य पायलटों को प्रशिक्षित करने हेतु इग्रुआ ने 14 डायमंड डीए-40 और 2 डायमंड डीए-4२ जहाजों के बेड़े के साथ एफ एन पी टी सिम्युलेटरो को क्रय किया।

शुरुवाती वर्षों में 20 सी पी एल धारकों से लेकर 80 कैडेटों को तैयार करने तक का एक लम्बा रास्ता तय किया है। शीघ्र ही आशा है कि यह संख्या 100 सी पी एल धारकों को पार कर जाएगी। विमानन दुनिया के उदीपमान केन्द्र यानी इग्रुआ, भारत का उत्कृष्ट वायुयान उड़ान प्रशिक्षण संस्थान वस्तुतः आई आई एम और आई आई टी के समतुल्य स्थान प्राप्त है यही कारण है कि इग्रुआ पायलट प्रशिक्षण हेतु सुरक्षा सेवाओं अर्थात इण्डियन नैवी और इंडियन कोस्ट गार्ड के पाइलट प्रशिक्षण की पहली पसन्द है, वहां से क्रमशः 12 और 8 पायलट प्रतिवर्ष प्रशिक्षण हेतु इग्रुआ आते है।

ईंधन की कम कीमतें, आमदनी में बढ़ोत्तरी एवं वाणिज्यिक व औद्योगिक क्षेत्रो में त्वरित पहुँच की आवश्यकता के परिणामस्वरूप भारत से यानी विमान वाहकों को बड़ा आर्डर दिया गया है, ताकि वे अपने संजाल को सम्पूर्ण भारत एवं दुनिया के अन्य देशो तक फैला सकें। जैसा कि इग्रुआ अपने 33 वर्ष पूर्ण कर रहा है, अकादमी प्रशासन इस बढ़ती हुई वाहकों के आगे आने वाले दिनों में पायलटो की माँग आपूर्ति हेतु सचेत है. बढती हुई माँग और भारतीय विमानन सेक्टर के बदलते हुए तकनीकी परिवेश को ध्यान में रखते हुए इग्रुआ नौजवान पायलटों की स्टेट ऑफ दि आर्ट सा साथ तैयार करने के लिए कटिबद्ध है ताकि वायुयान पर यात्रा करने वाले देश और दुनिया के यात्रियों को सुरक्षित एवं आरामदायक उड़ान सुबिधा मुहैया करायें।

इग्रुआ नागर विमानन के क्षेत्र में भारत के नागरिकों से अधिक रुचि लेने के प्रति आशावान है ताकि जयादा से ज्यादा युवा इस अदुभुत क्षेत्र की समुन्नति की कहानी का हिस्सा बन सके तथा भारतीय विमानन के अभ्युदय को सतत आगे बढ़ाते रहें।

धन्यवाद !

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